अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस- जानिए भारत की टॉप 5 लेडी डॉन के बारें में

हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस इस मौके पर हम भारत की उन महिलाओं को सलाम करते हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय विजन, परिश्रम और साहस से उद्यमिता की दुनिया में नया इतिहास रचा है। लेकिन आज हम इस खास मौके पर आपको भारत की टॉप 5 लेडी डॉन के किस्से बताऐंगे, जिनके नाम से ही लोग थर्राते थे।

संतोकबेन साराभाई जडेजा:
गुजरात की संतोकबेन साराभाई जडेजा, जिन्हें गॉडमदर के नाम से भी जाना जाता है, की कहानी बेहद दिलचस्प है। 80 के दशक में पोरबंदर की एक मिल में हड़ताल खत्म कराने के लिए मालिकों ने स्थानीय बदमाश की मदद ली थी। लेकिन जब वह मिल पहुंचा, तो उसकी हत्या कर दी गई। इस हत्या में सरमन मुंजा जडेजा का नाम आया, जो उसी मिल में मजदूरी करता था। सरमन ने इलाके के बदमाश की हत्या के बाद उसकी कुर्सी हथिया ली और खुद डॉन बन बैठा। लेकिन 1986 में सरमन की भी हत्या कर दी गई। इसके बाद उसकी पत्नी संतोकबेन ने उसकी कुर्सी संभाली और अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए पोरबंदर में 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। संतोकबेन ने इसके लिए एक गैंग बनाया, जिसमें सौ से अधिक लोग थे। उन पर एक-एक कर 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। बाद में उनकी जिंदगी पर आधारित एक फिल्म “गॉडमदर” बनाई गई, जिसमें शबाना आजमी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

अर्चना बालमुकुंद शर्मा:
उज्जैन में जन्मी अर्चना बालमुकुंद शर्मा ने अपने जीवन को एक अपराधी की ओर मोड़ दिया। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी अर्चना ने केंद्रीय विद्यालय से 12वीं तक पढ़ाई की और फिर पुलिस में चयन होने के बाद छह महीने तक नौकरी की। लेकिन अर्चना के मन में अभिनेत्री बनने का सपना था। इसी दौरान वह डॉन बबलू श्रीवास्तव के संपर्क में आईं। हालांकि अर्चना अभिनेत्री नहीं बन पाईं, लेकिन अपराध की दुनिया में उनका नाम जरूर चमकने लगा। समय के साथ अर्चना को किडनैपिंग क्वीन के नाम से जाना जाने लगा। यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि अर्चना विदेश में बैठकर भारत के नामी लोगों से रंगदारी वसूलती थीं।

फूलन देवी:
फूलन देवी की कहानी एक दर्दनाक और संघर्ष भरी जिंदगी की कहानी है। उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद में 1963 में जन्मी फूलन देवी को किशोरावस्था में ही अत्याचार का सामना करना पड़ा। उनके पिता ने उनकी शादी एक अधेड़ उम्र के आदमी से कर दी, जो उनके साथ मारपीट और बलात्कार करता था। फूलन देवी को 16 साल की उम्र में डाकुओं ने अपहरण कर लिया और उन्हें चंबल के बीहड़ों में ले गए। वहां उन्होंने डाकू बनने का फैसला किया और 14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव में 22 ठाकुरों की हत्या कर दी। फूलन देवी का कहना था कि यह हत्याएं बदला लेने के लिए की थीं, क्योंकि ठाकुरों ने उनसे सामूहिक दुष्कर्म किया था। 1983 में फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया, लेकिन शर्त यह थी कि उन्हें उत्तर प्रदेश की जेल नहीं भेजा जाएगा। 1994 में जेल से छूटने के बाद फूलन देवी समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद बनीं। लेकिन उनकी जिंदगी का अंत भी हिंसा में हुआ। 2001 में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

हसीना पारकर:
हसीना पारकर, जिन्हें गॉडमदर ऑफ नागपाड़ा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे वांछित अपराधी और आतंकी दाऊद इब्राहिम की बहन थीं। मुंबई में सीरियल ब्लास्ट और दंगों के बाद, दाऊद इब्राहिम ने अपने सभी अवैध धंधों की जिम्मेदारी हसीना पारकर को सौंप दी थी। वह मुंबई के अपराध जगत में एक शक्तिशाली व्यक्ति बन गईं और उन्हें “अप्पा” या “बड़ी बहन” के नाम से जाना जाने लगा। हसीना पारकर का जन्म 1959 में महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में हुआ था। उनके पिता इब्राहिम कासकर एक पुलिस कांस्टेबल थे। हसीना पारकर के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने अपने भाई दाऊद इब्राहिम के साथ मिलकर अपराध की दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित किया। हसीना पारकर की मौत 6 जुलाई 2014 को हृदय रोग के कारण हुई थी। उनकी मौत के समय, वह 55 वर्ष की थीं। उनके निधन के बाद, मुंबई के अपराध जगत में एक बड़ा बदलाव आया।

केडी केम्पम्मा:
बेंगलुरु की सीरियल किलर केडी केम्पम्मा को साइनाइड किलर और सायनाइड मलिका के नाम से भी जाना जाता था। वह अमीर महिलाओं को निशाना बनाती थी और उन्हें जहर देकर मार देती थी। केम्पम्मा ने 1999 से 2007 के बीच छह हत्याएं की थीं। पकड़े जाने पर उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

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