कई लोग कट्ठीवाड़ा को उसकी मशहूर आम की किस्मों के लिए ही पहचानते हैं… और इसी का फल है कि यहां रहने वालों के रिश्तेदार, परिचित, दोस्त सालभर याद करें न करें… आम की सीजन में कट्ठीवाड़ा वालों को जरूर याद कर लेते हैं… खैर, ये तो थी मजाक की बात… पर सच तो यही है… यहां के आम कम से कम लोगों को एक-दूसरे से जोड़े तो रखते हैं… लेकिन यहां मिलने वाली 2 दर्जन से ज्यादा आम की किस्मों के अलावा भी यहां बहुत कुछ है, जो देखा जा सकता है… या याद के तौर पर यहां से ले जाया जा सकता है… तो सिर्फ आम के लिए रिश्ते क्यों जोड़े रखना…
कट्ठीवाड़ा आज भी कई लोगों के लिए पहुंच के लिए आसान नहीं है… इंदौर वाले कई लोगों के मुंह से मैंने ये सुना है कि बहुत दूर है यार… फिर चाहे वही लोग अपनी स्वयं की गाड़ियों से हजारों-सैकड़ों किलोमीटर दूर घूमने निकल जाते हैं… तो भाई अब नासेरा के पास आप सभी के लिए वहां तक कट्ठीवाड़ा से कुछ भी लाने की हिम्मत नहीं है… माफ करो…


तो खैर, आम के अलावा यहां क्या-क्या है… घूमने के लिए झरना है… डूंगरीमाता मंदिर है… रतनमाल पहाड़ (ट्रेकिंग के लिए) है… पर हां, इन तीनों जगह आने वालों के लिए चेतावनी ये है कि पहाड़ चढ़ सको तो आना… वरना, फिर शिकायत मत करना कि मैंने पहले ये क्यों नहीं बताया… झरना में सीधी चढ़ाई… मंदिर के लिए सीढ़ियां और रतनमाल के लिए 3 घंटे की चढ़ाई… तो कमर कसकर अपने नए स्पोर्ट्स शूज पहनकर आना… पानी और नाश्ता कट्ठीवाड़ा में भरपूर मिलता है… खाने के लिए शाकाहारी और मांसाहारी (अलग-अलग) ढाबे भी है, तो यहां मनपसंद खाना भी ऑर्डर के बाद तैयार मिलेगा, बिलकुल देसी और पारंपरिक अंदाज में परोसकर… कड़कनाथ नहीं मिलेगी, ये भी मैं पहले ही बता दूं… इसके अलावा क्या देखने को मिलेगा… तो दो राजमहल है (इंट्री नहीं है देखने के लिए)… आम के बगीचे… प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बहती नदी के किनारे चाटलियापानी, एक अद्भुत और पारंपरिक मान्यताएं लिए पहाड़ ‘आधा सीसी’… बांस से बना खूबसूरत सामान, मिट्टी की बनी सजावटी वस्तुएं… जिसमें घोड़े (आदिवासी परंपरा में पूजनीय) प्रमुखता से पसंद किए जाते है… और कई प्राकृतिक संपदाएं… जिन्हें जानने का यहां मौका मिलेगा… कट्ठीवाड़ा घूमकर यहां से कहीं जाना हो, तो यहां से सबसे नजदीक है केवड़िया (स्टेच्यू ऑफ यूनिटी)…
… और हां, अब यहां होम स्टे की सुविधा है
कट्ठीवाड़ा :
वडोदरा से 90 किलोमीटर
इंदौर से 285 किलोमीटर
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