रविवार का दिन था, मौसम बढ़िया था, और जस गार्डन में कुछ ऐसा होने वाला था जिसे देखकर इंसान तो क्या, डॉग्स भी दंग रह जाते! ‘पेट वर्ल्ड’ के फाउंडर रोहित चौधरी ने एक ऐसा इवेंट आयोजित किया, जिसमें इंसानों से ज्यादा उनके पालतू डॉग्स की पूछ-परख थी। आखिर, यह दिन उन्हीं का था!
शाम 3 बजे:
जैसे ही गेट खुला, चारों तरफ कुत्तों की धमा-चौकड़ी मच गई। किसी की पूंछ हिल रही थी, तो कोई भाग-भागकर सबका अभिवादन कर रहा था। ब्रूनो (जर्मन शेफर्ड) ने गेट पर ही सिक्योरिटी वाले को घूरकर देखा, मानो कह रहा हो, “मैं VIP हूँ, मुझे रोका तो नहीं जाएगा?”
फैशन शो – जब कुत्ते बने मॉडल
पहला इवेंट था डॉग फैशन शो। रैंप पर चलने वाले इंसानों को सीख लेनी चाहिए थी क्योंकि स्टेला (गोल्डन रिट्रीवर) ने ऐसी अदाएं दिखाईं कि कैमरे वाले भी भूल गए कि वे कुत्तों की फोटो खींच रहे हैं या किसी सुपरमॉडल की। बेला ने तो अपने झुमके जैसे कानों को हिलाकर सभी को घायल कर दिया!
हर्डल रेस – जब जम्प और शिरो ने दिखाया दम
इसके बाद बारी थी हर्डल रेस की, जिसमें जम्प और शिरो ने अपने नाम के मुताबिक़ ऊंची छलांगें लगाईं। फुज (गोल्डन) ने भी पूरी कोशिश की, लेकिन बीच में उसे स्टॉल से आती ट्रीट्स की खुशबू ने इतना आकर्षित किया कि वह बीच रेस में ही रुककर खाने चला गया!
टेंप्टेशन ऐली – जहां घोस्ट और कियारा ने दिखाया दम
अब आई सबसे कठिन प्रतियोगिता – टेंप्टेशन ऐली! नियम था कि डॉग्स को ट्रीट्स और खिलौनों से भरी गलियारे से गुजरकर बिना रुके अपने मालिक के पास पहुंचना था। घोस्ट (स्मॉल कैटेगरी) ने अपनी सुपरफास्ट स्पीड दिखाई और बिना एक भी ट्रीट को सूंघे फिनिश लाइन पार कर ली। लेकिन कियारा (लार्ज कैटेगरी) ने सबसे अलग अंदाज़ दिखाया – वह पहले एक ट्रीट खाती, फिर आगे बढ़ती, फिर दूसरी खाती और इस तरह “रुक-रुक के जीतने” की नई रणनीति बना ली!
फेच द बॉल – जब ब्रूनो बना बॉलर
फेच द बॉल खेल में ब्रूनो (जर्मन शेफर्ड) ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। गेंद लाने की बजाए उसने खुद को क्रिकेटर समझकर बॉल को मुंह में दबाया और मैदान में इधर-उधर दौड़ने लगा। आखिरकार, आयोजकों को बॉल छोड़ने के बदले उसे चिकन ट्रीट ऑफर करनी पड़ी!
नतीजे और पुरस्कार
आखिर में विजेताओं को ‘ड्रॉल्स एव पेट स्टार’ की तरफ से ढेरों गिफ्ट्स मिले। हर डॉग विजेता बना – कोई दौड़ में, कोई खाने में, और कोई कैमरा फेस करने में! इवेंट में सभी पेट ओनर्स और डॉग्स ने जमकर मस्ती की और यह दिन हमेशा के लिए यादगार बन गया।
“तो अगली बार जब कोई कहे कि डॉग्स सिर्फ घर पर आलसी बैठे रहते हैं, उन्हें ये कहानी जरूर सुनाना!”
