कश्मीर की धरती एक बार फिर आतंक की आग में झुलस गई है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ मासूम पर्यटकों को निशाना बनाया, बल्कि पूरे कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक ढांचे और वहां के लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी पर भी गहरी चोट की है।
हमले की भयावहता
मंगलवार को अनंतनाग जिले के बायसरान क्षेत्र में आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 28 पर्यटकों की जान ले ली और कई को गंभीर रूप से घायल कर दिया। यह इलाका ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, जहां हर साल लाखों सैलानी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आतंकी जंगलों से निकलकर आए और पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। पुलिस ने पुष्टि की है कि इस बार आतंकियों ने सीधे आम पर्यटकों को निशाना बनाया, जो पहले कभी नहीं हुआ था।
टूरिज्म पर असर, रोज़गार पर संकट
कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री करीब 12,000 करोड़ रुपये की है, जो राज्य की GDP में 7-8% योगदान देती है। इस क्षेत्र में होटल, हाउस बोट, टैक्सी सेवाएं, गाइड, हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में करीब 2.5 लाख लोग काम करते हैं। डल झील की 1500 से ज्यादा हाउस बोट, 3000 होटल कमरे और हजारों टैक्सियां अब खाली पड़ने की कगार पर हैं। हमले के बाद बड़ी संख्या में बुकिंग्स कैंसल हो रही हैं—होटल, टैक्सी, फ्लाइट टिकट सब रद्द किए जा रहे हैं।
गुलमर्ग से डल झील तक सन्नाटा
2024 में कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.36 करोड़ रही, जिसमें 65,000 से अधिक विदेशी पर्यटक शामिल थे। गुलमर्ग ने अकेले 103 करोड़ रुपये का राजस्व दिया। लेकिन अब ये सभी पर्यटन स्थल डर और सन्नाटे के साये में हैं।
बॉलीवुड से लेकर ओटीटी प्रोडक्शन हाउस तक, कश्मीर हमेशा शूटिंग के लिए पहली पसंद रहा है। वहीं डेस्टिनेशन वेडिंग की मांग भी बढ़ी थी। लेकिन अब कई फिल्म यूनिट्स और वेडिंग प्लानर्स पीछे हट रहे हैं।
विकास पर विराम
केंद्र सरकार कश्मीर के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये की योजना पर काम कर रही थी। एयर कनेक्टिविटी, वंदे भारत ट्रेन और ऑन-अराइवल वीज़ा जैसी योजनाओं के जरिए विदेशी सैलानियों को आकर्षित किया जा रहा था। 75 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित किए जा रहे थे। मगर आतंक की यह एक घटना इन सब योजनाओं पर पानी फेरती नज़र आ रही है।
कश्मीरियों की प्रतिक्रिया
पहलगाम में स्थानीय लोगों ने कैंडल मार्च निकाला और आतंक के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। एक युवक ने कहा, “हम पहले हिंदुस्तानी हैं, फिर कश्मीरी। यह हमला बुजदिलाना है।” धार्मिक संगठनों से लेकर राजनीतिक दलों तक ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। कश्मीरी आवाम का कहना है कि पर्यटकों पर हमला उनके घरों और पेट पर हमला है, क्योंकि टूरिज्म ही उनकी कमाई का ज़रिया है।
370 हटने के बाद टूरिज्म में बढ़त
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म को लेकर बड़ा सुधार देखा गया।
2020: 34 लाख पर्यटक (कोविड काल)
2021: 1.13 करोड़
2022: 1.88 करोड़
2023: 2.11 करोड़
2024: 2.30 करोड़ से अधिक
हर साल राज्य की कमाई में 15% से ज़्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मगर इस आतंकी हमले ने उस रफ्तार को ब्रेक लगा दिया है।
अमरनाथ यात्रा पर खतरा?
जुलाई में अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है, जिसका मार्ग पहलगाम से होकर गुजरता है। इस हमले को यात्रा को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
कश्मीर के लोगों की अपील
पहलगाम के हमले के बाद पहली बार कश्मीर की जनता आतंकियों के खिलाफ खुलकर बोल रही है। विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, घाटी बंद का आह्वान हो रहा है। लोगों का कहना है कि यह सिर्फ इंसानियत नहीं, बल्कि कश्मीरी मेहमान-नवाजी और उनके रोजगार पर भी हमला है। कश्मीर की सुंदरता, आतिथ्य और पर्यटन उद्योग को बचाए रखने के लिए ज़रूरी है कि इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और पर्यटकों का भरोसा दोबारा बहाल किया जाए। क्योंकि जब पर्यटक कश्मीर आते हैं, तब ही वहां की ज़िंदगी चलती है। और जब टूरिज्म रुकता है, तो पूरी घाटी थम जाती है।
