यह लेख लोकतंत्र और राजतंत्र के बीच के मूलभूत अंतर को बहुत सटीकता से समझाता है। इसमें बताया गया है कि कैसे लोकतांत्रिक प्रणाली में जनता को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि राजतंत्र में राजा की प्राथमिकता होती थी। लेख का यह कथन कि “हमें सरकार चाहिए, राजा नहीं,” आज के राजनीतिक माहौल में बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि यह सरकारों की जवाबदेही और जनता के अधिकारों की बात करता है।
लेख में प्रमुख बिंदु यह है कि लोकतंत्र में सरकार का काम जनता की सेवा करना है, न कि अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए तुगलकी फैसले लेना। जो भी सुविधाएं या लाभ सरकार द्वारा वितरित किए जाते हैं, वे जनता के ही करों से आते हैं, और यह सरकार का दायित्व है, न कि कोई अहसान।
लेख में यह भी बताया गया है कि कुछ सरकारें, जो खुद को लोकतांत्रिक कहती हैं, व्यवहार में राजतंत्र जैसी प्रवृत्तियों को अपनाने लगी हैं। फ्री योजनाओं और घोषणाओं के माध्यम से जनता को लुभाने की कोशिशें की जाती हैं, और इसे अपनी उदारता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है।
मुख्य संदेश: जनता को यह समझने की आवश्यकता है कि वे लोकतंत्र में सर्वोच्च हैं और सरकार उनकी सेवा के लिए है, न कि खुद को राजा की तरह स्थापित करने के लिए। सत्ता में बैठे लोगों को भी यह समझना चाहिए कि उनका कार्य जनसेवा है, न कि व्यक्तिगत प्रचार और आराम के साधन जुटाना।