मेरे शहर की बदहाली

न्याय व्यवस्था का पतन 👉 बड़ी श्रद्धा से नवनिर्मित गोपाल मंदिर में शादी आयोजित हो गई। 👉 सत्ता पार्टी वाले ही आपस में एक दूसरे के घर में घुसकर बच्चे को नंगा कर गए। 👉 दुखी शिकायतकर्ता को पुलिस थाना एक से दूसरे और दूसरा तीसरे थाने भेजता रहा मतलब उनको यही नहीं मालूम है कि इन्हे किस थाने पर भेजना है। 👉 मृतक के परिजन को मृतक की देह थाने पर रखकर धरना देना पड़े तब जाकर एफ आई आर लिखने लगे। बढ़ती अपराध दर 👉 चोरी चकारीयाॅ करीब करीब रोज होने लगी। 👉 कोई दिन ऐसा नहीं की एक्सीडेंट मैं कोई घायल या मरा नहीं। 👉 आए दिन सुसाइड के कैसे आने लगे। 👉 आए दिन छोटी बच्चीयो के साथ कुकर्म की घटनाएं होने लगी। भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियाँ 👉 चंदा वसूली के भी नए दफ्तर खुल गए। 👉 सरकारी दफ्तर में भी काम काम करवाने के लिए या तो अप्रोच या मुंह मांगी मान सम्मान निधि दो। 👉 अनैतिक गतिविधियो के कई स्पा सेंटर जैसे अड्डे खुल गए। 👉 हर प्रकार का नशा शहर में बिक रहा। शहर का बिगड़ता ढाँचा 👉 ट्रैफिक जवान कोटा अनुसार जबरन चालान बना रहे पर 80% बिना हेलमेट घूम रहे। 👉 शहर के बीच नदी हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने पर भी ज्यो त्यो दिखती है। 👉 शहर के कई नामी बगीचे स्वयं की हालत देखकर प्रश्न और चिंता क्या हो गया मेरे शहर को* शहर के मुद्दे रो रहे हैं। 👉 शहर में बिना सोच समझ के विकास हो रहे हैं कोई टेक्निकल समझदारी नहीं किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं। 👉 नगर निगम में बिना काम किये भी बिल पेमेंट हो गए। 👉 यूं तो बोर्ड लगाने पर नगर निगम पैसे लेता है पर हमारे राजनीतिक सरदारों के जन्मदिन या किसी सेलिब्रिटी नेता के आने पर सैकड़ो फ्लेक्स लग जाएंगे। 👉 शहर की सुंदरता बनाए रखने में जिम्मेदार गेर जिम्मेदार हो गए। 👉 शहर के कुत्ते भी अपना वजूद दिखने लगे। 👉 चाइनीस डोर नहीं बिकेगी परंतु इसी डोर ने कइयो को घायल किया। लेखक परिचय अशोक मेहता, इंदौर (लेखक पत्रकार पर्यावरणविद्)

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गुजरात समाचार में प्रकाशित यह विज्ञापन एक मिसिंग अफ्रीकन ग्रे पैरट, “Coco,” के बारे में है।

गुजरात समाचार में प्रकाशित यह विज्ञापन एक मिसिंग अफ्रीकन ग्रे पैरट, “Coco,” के बारे में है। इसमें पक्षी के मालिक द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त किया गया है और बताया गया है कि वह 12 जनवरी 2025 को सुबह 10:15 बजे लापता हो गया। मुख्य जानकारी: फ्लाई आउट एरिया: राज यश सिटी, विशाल होटल के पीछे, वासना। पक्षी का नाम: कोको। लेग रिंग कोड: 22 ADI 44 RSS। इनाम: 1 लाख रुपये। इस विज्ञापन के माध्यम से मालिक ने कोको को ढूंढने में सहायता की अपील की है। यह उनकी निष्ठा और प्रेम को दर्शाता है। अफ्रीकन ग्रे पैरट अपनी बुद्धिमत्ता और इंसानों से जुड़ने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध होते हैं, और कोको के मालिक के लिए यह सिर्फ एक पक्षी नहीं बल्कि परिवार का हिस्सा है। इस घटना ने स्थानीय लोगों और पशु प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है। विज्ञापन में दिए गए संपर्क नंबरों से यह स्पष्ट है कि मालिक इसे खोजने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। यह पक्षी प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे हम अपने पालतू जानवरों को प्यार और देखभाल देते हैं। क्या आप इस घटना पर अधिक चर्चा या सहायता चाहते हैं?

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कॉर्पोरेट बस्तर के सेप्टिक टैंक में दफ्न ‘लोकतंत्र’

यदि पत्रकारिता लोकतंत्र की जननी है या पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, तो यकीन मानिए, 3 जनवरी की रात वह बस्तर के बीजापुर में एक राज्य-पोषित ठेकेदार के सेप्टिक टैंक में दफ्न मिली। लोकतंत्र की इस मौत पर अब आप शोक सभाएं कर सकते हैं, श्रद्धांजलि दे सकते हैं। जी हां, हम बात उस नौजवान की कर रहे हैं, जिसकी पत्रकारिता उसकी मौत के बाद भी कब्र से खड़ी होकर कांग्रेस-भाजपा को कटघरे में खड़ी कर रही है। हम बात उस मुकेश चंद्राकर की कर रहे हैं, जिसे ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक पत्रकार के रूप में ही पहचानने से इंकार कर दिया। हम बात उस नौजवान पत्रकार की कर रहे हैं, जिसकी मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पूरी दुनिया में भारत को ‘फ्लॉड डेमोक्रेसी’ का दर्जा क्यों मिला हुआ है। पूरी दुनिया जब नव वर्ष का स्वागत कर रही थी, इस आशा के साथ कि नया साल मानवता के लिए पिछले से कुछ बेहतर, और बहुत बेहतर होगा ; छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र के बीजापुर में पूरी खामोशी और योजनाबद्ध तरीके से नर-पिशाचों द्वारा मुकेश चंद्राकर के रूप में लोकतंत्र को सेप्टिक टैंक में दफ्न किया जा रहा था। ये वे नर पिशाच थे, जिन्हें ‘दैनिक भास्कर’ जैसा कॉरपोरेट मीडिया उनके कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए इस ब्रह्मांड के सबसे बड़े समाजसेवी, सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, उद्यमिता और महिला सशक्तिकरण के प्रणेता के रूप में प्रस्तुत कर रहा था। मुकेश चंद्राकर की हत्या ने बता दिया है कि क्रोनी कैपिटलिज़्म (परजीवी पूंजीवाद) ने जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर अडानी-अंबानी पैदा किए हैं, उसी तरह उसने स्थानीय स्तर पर भी जिन अडानियों-अंबानियों को पैदा किया है, उनमें से एक सुरेश चंद्राकर है। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मुख्य आरोपी वह व्यक्ति है, जिसे कांग्रेस-भाजपा ने बस्तर की लूट को सहज और निर्बाध बनाने के लिए अपनी सत्ता की ताकत का सहारा देकर पैदा किया है। आदिवासी विरोधी और मानवाधिकार विरोधी राज्य-प्रायोजित सलवा जुडूम ने जिन अपराधियों को पाला-पोसा-पनपाया है, सुरेश चंद्राकर उनमें से एक हैं। कुछ महीने पहले बाप्पी रॉय और उसके साथियों को रेत माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर गांजा तस्करी में फंसाने की कोशिश हुई थी। इस मामले में भी हमने पी. विजय जैसे एक और नर पिशाच को देखा था, जो सलवा जुडूम की ही उपज था और इस जुडूम के (खल)नायक एसआरपी कल्लूरी से जिसकी घनिष्ठता किसी से छुपी हुई नहीं है। इसी रेत माफिया ने पत्रकार कमल शुक्ला पर जानलेवा हमला किया था, जिसके वीडियो फुटेज आज भी हवा में तैर रहे हैं। लेकिन किसी हमलावार पर आज तक फैसलाकुन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इन अपराधियों के साथ तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के व्यक्तिगत और सांगठनिक संबंध आज भी कायम है। इन अपराधियों के इसी स्तर के संबंध अब भाजपा से भी बन चुके हैं। पूरे प्रदेश में ये अपराधी आज हत्यारे गिरोह में तब्दील हो चुके हैं। अब क्रोनी कैपिटलिज़्म अडानी-अंबानी पैदा करने वाली एक आर्थिक प्रक्रिया ही नहीं है, एक राजनैतिक प्रक्रिया भी है, जो लोकतंत्र को सेप्टिक टैंक में दफ्न करने की ताकत रखती है। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पिछले 24 सालों में बस्तर में कई लाख करोड़ का खेल हो चुका है और यह सब विकास के नाम पर हुआ है। इसलिए 120 करोड़ का सड़क घोटाला कोई मायने नहीं रखता। बस्तर के विकास के लिए केंद्र से लेकर राज्य तक (चाहे किसी भी जगह सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की) और राजनेता से लेकर अधिकारी और ठेकेदार तक कमर कसे हुए हैं। बस्तर के विकास के लिए 6-लेनी सड़क चाहिए और सड़क बनाने के लिए फोर्स चाहिए। बस्तर के विकास के लिए नक्सल उन्मूलन की जरूरत है और इसके लिए फोर्स चाहिए। बस्तर के विकास के लिए संसाधनों का दोहन जरूरी है, इसके लिए कॉर्पोरेट चाहिए और इसके लिए भी फोर्स चाहिए। लेकिन बस्तर के विकास के लिए आदिवासी नहीं चाहिए, उनके लिए हॉस्पिटल, स्कूल, आंगनबाड़ी नहीं चाहिए। यदि विकास के नाम पर इन सबकी, दिखावे के लिए ही सही, कभी-कभार चिंता जताई जाएं, तो इसके लिए भी फोर्स चाहिए। सोशल मीडिया में अपनी टिप्पणी में पत्रकार सौमित्र रॉय ने ठीक ही लिखा है — “यह भयानक विकास है। अपराधियों की सत्ता का विकास। संघियों का विकास। सत्ता को तेल लगाने वालों का विकास और गरीब आदिवासियों की हक की बात करने वालों का विनाश।” ‘कॉर्पोरेट बस्तर’ की यही सच्चाई है। इसी सच्चाई को अपनी त्वरित टिप्पणी में माकपा नेता बादल सरोज ने कुछ यूं बयान किया है — “बस्तर सचमुच में एक जंक्शन बना हुआ है ; एक ऐसा जंक्शन जहां के सारे मार्ग बंद हैँ : माओवाद का हौवा दिखाकर लोकतंत्र की तरफ जाने वाला रास्ता ब्लॉक किया जा चुका है। कानून के राज की तरफ जाने वाली पटरियां उखाड़ी जा चुकी हैं। संविधान नाम की चिड़िया बस्तर से खदेड़ी जा चुकी है। अब सिर्फ एक तरफ की लाइन चालू है : आदिवासियों की लूट, उन पर अत्याचार, सरकारी संपदा की लूट और उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों का क़त्ल करने की छूट।” यही सच्चाई है, जिसे कांग्रेस-भाजपा दोनों मिलकर दबाना-छुपाना चाहते हैं। मुकेश की हत्या के बाद कांग्रेस-भाजपा एक-दूसरे पर जो आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है, वह इसी मुहिम का हिस्सा है। वरना कौन नहीं जानता कि जो ठेकेदार कल तक तिरंगा लपेटे थे, आज वे भगवा धारण किए हुए हैं। कांग्रेस या भाजपा का होने या न होने का एक झीना-सा अंतर जो बचा हुआ था, वह भी सलवा जुडूम के दौर में खत्म हो गया था। महेंद्र कर्मा तब के भाजपा मंत्रिमंडल के 16वें मंत्री ठीक उसी प्रकार गिने जाते थे, जिस प्रकार बृजमोहन अग्रवाल कांग्रेस मंत्रिमंडल के 16वें मंत्री गिने जाते थे। अब हर खादी के नीचे खाकी है। कुछ अपवाद जरूर है और वे सम्मान के योग्य तो हैं ही, लेकिन उनके पास सत्ता की ताकत नहीं है। खादी के नीचे की यही खाकी है, जो इस सवाल को पूछने से रोकती है कि गंगालूर से लेकर मिरतुर तक जो सड़क बनाई गई थी, वह थी किसके लिए? आदिवासियों के लिए या कॉरपोरेटों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों की लूट को ढोने के लिए? इस सड़क को बनाने का अनुबंध 16 टुकड़ों

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कॉलेज में एक लड़का एक लड़की से बेइंतहा प्यार करने लगा।

कॉलेज में एक लड़का एक लड़की से बेइंतहा प्यार करने लगा। हिम्मत जुटाकर उसने अपने दिल की बात कहने का फैसला किया और एक प्रेम पत्र लिखा। पत्र में उसने लिखा, “अगर तुम भी मुझसे प्यार करती हो तो कल लाल रंग की ड्रेस पहनकर आना।” उसने यह पत्र लड़की को उसकी किताब में रखकर दिया। अगले दिन, लड़के की नजरें लड़की पर टिकी थीं, लेकिन लड़की लाल नहीं, पीले रंग की ड्रेस पहनकर आई। उसने वही किताब लड़के को वापस कर दी। यह देखकर लड़के का दिल टूट गया और वह बेहद उदास रहने लगा। कुछ समय बाद, लड़की की शादी हो गई। लड़का अकेला और गुमसुम रहने लगा। एक दिन जब वह सफाई कर रहा था, तो वही किताब हाथ में आई। किताब गिरते ही उसमें से एक चिट्ठी बाहर निकल पड़ी। उस चिट्ठी में लिखा था:“मुझे तुम पसंद हो। अगर तुम मुझसे सच में प्यार करते हो तो मेरे घरवालों से बात करो। अगर वे न मानें, तो मैं तुम्हारे साथ घर छोड़कर भागने के लिए तैयार हूं। और हां, मैं एक गरीब लड़की हूं। मेरे पास लाल रंग की ड्रेस नहीं है। सॉरी।” यह पढ़ते ही लड़के ने अपना सिर पकड़ लिया और अपनी किस्मत को कोसने लगा। उसे एहसास हुआ कि अगर उसने समय रहते किताब को खोलकर देखा होता, तो शायद उसकी जिंदगी कुछ और होती। सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में रिश्तों और संवाद की अहमियत को समझना चाहिए। और हां, अपनी पुरानी किताबों को समय-समय पर जरूर खोलकर देख लेना चाहिए, क्योंकि कौन जानता है, उनमें जिंदगी का कोई अहम सबक छिपा हो!

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सबर का फल चोरी हो गया: एक गंभीर मजाकिया घटना!

भाईसाब, आप सब जानते हैं कि इस दुनिया में दो चीजें बड़ी मुश्किल से मिलती हैं—सबर और उसके फल का स्वाद। लेकिन इस तस्वीर में हमारा प्यारा, मासूम और थोड़ा नाराज बिल्ली मियां तो अलग ही कहानी सुना रहे हैं। कहते हैं, “सबर का फल मीठा होता है,” पर ये बिल्ली तो सीधे-सीधे ऐलान कर रही है कि उसका “सबर का फल” चोरी हो गया है! बिल्ली मियां की कहानी तो जनाब, ऐसा लगता है कि इस बिल्ली ने काफी वक्त तक अपनी “ऐप्पल साइडर” की बोतलों के साथ अपनी उम्मीदें बांध रखी थीं। लेकिन जब फल मिलने का समय आया, तो नतीजा क्या निकला? चोरी! अब यह ठेठ गुस्से में अपने पंजों को झुलाते हुए सोच रही है, “यह मेरे साथ ही क्यों हुआ?” कैसे चोरी हुई? जैसा कि तस्वीर से साफ दिख रहा है, इस महान बिल्ली ने अपनी साइडर के पास इतनी देर बैठकर पहरा दिया कि आखिरकार नींद ने उसे पकड़ लिया। और वहीं, मौका पाकर कोई उसका “सबर का फल” ले उड़ा। संदेशवाहक की नाराजगी “बात को समझो भाई,”—यह वाक्य सीधे हमारे दिलों तक पहुंचता है। जैसे यह कहना चाह रहा हो कि: सबक क्या है? तो भाई, अगली बार जब कोई आपसे कहे, “सबर का फल मीठा होता है,” तो उन्हें इस बिल्ली की कहानी सुनाकर बताइएगा कि वो फल मीठा हो या खट्टा, अगर चोरी हो गया तो किस काम का?

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यह एक सराहनीय प्रयास है जो उत्तरायण पर्व के दौरान घायल पक्षियों और पशुओं को बचाने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।

यह एक सराहनीय प्रयास है जो उत्तरायण पर्व के दौरान घायल पक्षियों और पशुओं को बचाने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। पतंगबाजी के दौरान हर साल कई पक्षी घायल हो जाते हैं, और ऐसे अभियानों से उनके जीवन की रक्षा करना संभव होता है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य घायल पक्षियों और पशुओं को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना। लोगों में जागरूकता फैलाना कि उनके मनोरंजन के कारण निर्दोष प्राणियों को चोट न पहुंचे। मेडिकल कैंप और संपर्क जानकारी: स्थान: श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर, हाटकेश्वर वाड़ी, अहमदाबाद। तारीख: 14 और 15 जनवरी 2025। संपर्क: +91 9170613923 +91 7069943931 कैसे मदद करें: यह अभियान सभी पक्षी प्रेमियों और जीवदया में रुचि रखने वालों के लिए एक प्रेरणा है। आपकी छोटी सी मदद कई जीवन बचा सकती है।आपकी टीम और ट्रस्ट के इस प्रयास को शुभकामनाएं।

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धनश्री वर्मा ने तलाक़ की अफवाहों पर चुप्पी तोड़ी,

आधारहीन खबरों और ट्रोल्स को दोषी ठहराया धनश्री वर्मा और युजवेंद्र चहल के तलाक की अफवाहें 2022 में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में थीं। इसका कारण उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल से नाम हटाना और कुछ अस्पष्ट पोस्ट्स थी, जिनकी वजह से लोगों ने अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं। हालांकि, धनश्री वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि उनके और युजवेंद्र के बीच सब कुछ ठीक है और लोग बिना किसी आधार के ऐसी बातें न फैलाएं। उन्होंने अपने पोस्ट में यह संदेश दिया कि सच्चाई को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती और अफवाहों पर ध्यान देना बेकार है। उनका यह बयान उनकी मजबूती और रिश्ते के प्रति उनके विश्वास को दिखाता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि बिना तथ्यों के किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

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जगदीप सिंह: एक भारतीय सफलता की कहानी

दुनिया का सबसे अधिक वेतन पाने वाला व्यक्तिजगदीप सिंह का नाम आजकल चर्चा का केंद्र बना हुआ है। एक भारतीय मूल के इस व्यक्ति ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ एक विशाल कंपनी का निर्माण किया है बल्कि दुनिया के सबसे अधिक वेतन पाने वाले व्यक्ति का खिताब भी हासिल किया है। उनकी सालाना आय 17,500 करोड़ रुपये है, जो कि किसी भी आम व्यक्ति के लिए अकल्पनीय है।क्वांटमस्केप और टेक्नोलॉजी का भविष्यजगदीप सिंह क्वांटमस्केप के सीईओ रह चुके हैं, जो कि टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में काम करने वाली एक अग्रणी कंपनी है। उनकी कंपनी ने बैटरी टेक्नोलॉजी में क्रांति लाने का काम किया है, जिसका सीधा असर इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में पड़ रहा है।शिक्षा और अनुभव का महत्वजगदीप सिंह ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बी.टेक और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से एमबीए किया है। उनकी उच्च शिक्षा और व्यापक अनुभव ने उन्हें एक सफल उद्यमी बनने में मदद की है।भारतीय उद्यमिता का उज्ज्वल भविष्यजगदीप सिंह की सफलता भारतीय उद्यमिता के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाता है कि भारतीय युवा भी वैश्विक स्तर पर सफल हो सकते हैं। उनकी कहानी युवा उद्यमियों को प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें।मुख्य बिंदु

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Organized by the Madhya Pradesh Judo Association

Altamash Khan, a Class 11 student from St. Umar Higher Secondary School, has brought pride to Indore by winning the silver medal at the Sub-Junior and Cadet State Judo Championship, held from January 2 to January 5 at Nehru Stadium. Organized by the Madhya Pradesh Judo Association, the competition witnessed Altamash’s remarkable skill and determination, earning him this prestigious accolade. His achievement, a testament to his dedication and rigorous training, also highlights the significant contributions of his coaches and school. Recognizing his success, the Madhya Pradesh Sports and Youth Welfare Department announced a sports scholarship to support Altamash in advancing his judo career. The principal of St. Umar Higher Secondary School, Mr. Sandesh Gupta, along with the Managing Committee of Islamia Kareemia Society, Sports Officer Dr. Rafiq Khan, and coaches Rehan Khan and Mehmood Khan, extended their heartfelt congratulations to Altamash. They celebrated his hard work and perseverance, expressing confidence in his bright future. This milestone not only elevates Altamash’s stature but also serves as an inspiration for other young athletes, proving that dedication and effort can lead to extraordinary achievements.

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