जब आजीविका और आर्थिक स्थिरता की बात आती है, तो कई भारतीय युवा विदेश जाने का सपना देखते हैं। खासकर जब वे उच्च शिक्षित या विशेष कुशल नहीं होते, तो विकल्प सीमित हो जाते हैं। इसी स्थिति में “डंकी रूट” एक आकर्षक लेकिन जोखिमभरा विकल्प बन जाता है। आर्थिक गणित: निवेश और लाभ डंकी रूट से अमेरिका जाने के लिए औसतन ₹30 लाख तक की लागत आती है। वहां पहुंचकर, व्यक्ति लॉन कटाई, सफाई या अन्य शारीरिक श्रम के कार्यों में लग जाते हैं, जहां उन्हें प्रति घंटे लगभग $10 की मजदूरी मिलती है। वहीं, सुपरवाइजर प्रति घंटे $14-15 कमा कर $4-5 की बचत करता है। साप्ताहिक 40 घंटे की नौकरी करने पर, ये प्रवासी हर महीने लगभग $1600 (₹1.36 लाख) कमाते हैं। रहने के लिए 12-15 लोग मिलकर एक घर किराए पर लेते हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति को लगभग ₹8,500 ($100) किराया और ₹17,000 ($200) अन्य खर्चों के लिए देना होता है। इस तरह, वे हर महीने लगभग $1000 (₹85,000) बचा लेते हैं। सालभर में यह बचत ₹10.20 लाख तक पहुंच जाती है, जिससे शुरुआती निवेश मात्र तीन साल में वसूल हो जाता है। भारत बनाम विदेश: संभावनाओं की तुलना अगर भारत में ₹30 लाख निवेश किया जाए, तो क्या तीन साल में यह वसूल किया जा सकता है? सामान्य परिस्थितियों में, बिना उच्च योग्यता के यह असंभव सा लगता है। भारत में ₹1 लाख प्रति माह बचत कर पाना मुश्किल है, जबकि अमेरिका में यह संभव हो जाता है। डॉलर और रुपये का अनुपात (87:1) इस अवसर को और आकर्षक बनाता है। विदेश में कमाई का उपयोग इस बचत से लोग: बहन की शादी के लिए ₹5 लाख की व्यवस्था कर सकते हैं। परिवार को एक ऑटो-रिक्शा दिलाकर स्थायी आय का स्रोत बना सकते हैं। घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। डंकी रूट की बढ़ती लोकप्रियता हालांकि यह मार्ग अवैध है, लेकिन सीमित कानूनी विकल्पों के कारण कई लोग इसे अपनाने को मजबूर हैं। अमेरिका में श्रमिक वीज़ा प्राप्त करना भारतीयों के लिए कठिन होता है। मैक्सिकन या पूर्वी यूरोपीय नागरिकों के लिए यह आसान होता है, जिससे भारतीयों को अवैध मार्ग अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। अन्य देशों में भी स्थिति समान केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि सऊदी अरब, दुबई और अन्य खाड़ी देशों में भी भारतीय श्रमिक 12 घंटे की शिफ्ट में काम कर ₹90,000 प्रति माह कमा सकते हैं। वहां रहने-खाने की लागत कम होने के कारण वे ₹60,000 तक बचा सकते हैं। पाँच वर्षों में वे ₹35-40 लाख जोड़कर अपने वतन लौट सकते हैं और व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। निष्कर्ष जब तक रुपये और डॉलर के बीच इतना बड़ा अंतर रहेगा, यह प्रवृत्ति बनी रहेगी। विदेश में काम करके जल्दी और अधिक बचत करने का आकर्षण बना रहेगा। हालांकि यह रास्ता कानूनी नहीं है, लेकिन सीमित अवसरों के कारण यह जारी रहता है। यही कारण है कि डंकी रूट की लोकप्रियता समय के साथ कम नहीं हो रही है।