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Organized by the Madhya Pradesh Judo Association

Altamash Khan, a Class 11 student from St. Umar Higher Secondary School, has brought pride to Indore by winning the silver medal at the Sub-Junior and Cadet State Judo Championship, held from January 2 to January 5 at Nehru Stadium. Organized by the Madhya Pradesh Judo Association, the competition witnessed Altamash’s remarkable skill and determination, earning him this prestigious accolade. His achievement, a testament to his dedication and rigorous training, also highlights the significant contributions of his coaches and school. Recognizing his success, the Madhya Pradesh Sports and Youth Welfare Department announced a sports scholarship to support Altamash in advancing his judo career. The principal of St. Umar Higher Secondary School, Mr. Sandesh Gupta, along with the Managing Committee of Islamia Kareemia Society, Sports Officer Dr. Rafiq Khan, and coaches Rehan Khan and Mehmood Khan, extended their heartfelt congratulations to Altamash. They celebrated his hard work and perseverance, expressing confidence in his bright future. This milestone not only elevates Altamash’s stature but also serves as an inspiration for other young athletes, proving that dedication and effort can lead to extraordinary achievements.

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भारत में पत्रकारिता: एक खतरनाक पेशा और लोकतंत्र पर संकट

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन भारत में यह स्तंभ दिनों-दिन कमजोर होता जा रहा है। पत्रकारों की हत्या, उत्पीड़न, और धमकियों की घटनाएं न केवल उनकी स्वतंत्रता को बाधित करती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी चोट पहुंचाती हैं। पत्रकारों की हत्याओं के आंकड़े 1993 से अब तक दुनिया भर में 1728 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है, जिसमें से एशिया में 457 और भारत में 60 पत्रकार शामिल हैं। भारत में हर साल औसतन तीन से चार पत्रकारों की हत्या होती है। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत पत्रकारों के लिए एक खतरनाक देश बन गया है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा जारी 2023 के प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 162वां स्थान दिया गया है। यह रैंकिंग यह स्पष्ट करती है कि भारत में पत्रकारों को स्वतंत्र और निर्भीक होकर काम करने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सामना कर रहे खतरे भारत में पत्रकारों को अक्सर शक्तिशाली राजनीतिक, आर्थिक, और आपराधिक समूहों की आलोचना करने के लिए निशाना बनाया जाता है। इनमें निम्नलिखित चुनौतियां शामिल हैं: लोकतंत्र पर प्रभाव पत्रकारों की स्वतंत्रता पर हमले केवल व्यक्तिगत हानियां नहीं हैं, बल्कि यह पूरे समाज और लोकतंत्र को प्रभावित करते हैं। जब पत्रकार सच बोलने से डरते हैं, तो महत्वपूर्ण मुद्दे जनता तक नहीं पहुंच पाते। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही कमजोर होती है। संस्थाओं की भूमिका यूनेस्को और रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं ने पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता जताई है। इन संगठनों ने सरकारों से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों को सजा देने की मांग की है। समाधान की दिशा में कदम निष्कर्ष भारत में पत्रकारों की स्थिति चिंताजनक है। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल एक नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। सरकार, समाज, और मीडिया संस्थानों को मिलकर काम करना होगा ताकि पत्रकार निडर होकर सच्चाई जनता तक पहुंचा सकें। पत्रकारिता को एक खतरनाक पेशा बनने से बचाना ही लोकतंत्र की रक्षा है।

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यह लेख लोकतंत्र और राजतंत्र के बीच के मूलभूत अंतर को बहुत सटीकता से समझाता है।

यह लेख लोकतंत्र और राजतंत्र के बीच के मूलभूत अंतर को बहुत सटीकता से समझाता है। इसमें बताया गया है कि कैसे लोकतांत्रिक प्रणाली में जनता को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि राजतंत्र में राजा की प्राथमिकता होती थी। लेख का यह कथन कि “हमें सरकार चाहिए, राजा नहीं,” आज के राजनीतिक माहौल में बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि यह सरकारों की जवाबदेही और जनता के अधिकारों की बात करता है। लेख में प्रमुख बिंदु यह है कि लोकतंत्र में सरकार का काम जनता की सेवा करना है, न कि अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए तुगलकी फैसले लेना। जो भी सुविधाएं या लाभ सरकार द्वारा वितरित किए जाते हैं, वे जनता के ही करों से आते हैं, और यह सरकार का दायित्व है, न कि कोई अहसान। लेख में यह भी बताया गया है कि कुछ सरकारें, जो खुद को लोकतांत्रिक कहती हैं, व्यवहार में राजतंत्र जैसी प्रवृत्तियों को अपनाने लगी हैं। फ्री योजनाओं और घोषणाओं के माध्यम से जनता को लुभाने की कोशिशें की जाती हैं, और इसे अपनी उदारता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है। मुख्य संदेश: जनता को यह समझने की आवश्यकता है कि वे लोकतंत्र में सर्वोच्च हैं और सरकार उनकी सेवा के लिए है, न कि खुद को राजा की तरह स्थापित करने के लिए। सत्ता में बैठे लोगों को भी यह समझना चाहिए कि उनका कार्य जनसेवा है, न कि व्यक्तिगत प्रचार और आराम के साधन जुटाना।

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2025 की कपल्स के लिए बुरी खबर : OYO ने सख्त किए नियम

ओयो रूम्स ने बदले नियम: कपल्स के लिए सख्त शर्तें लागू* भारत की प्रमुख होटल बुकिंग सेवा ओयो रूम्स ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता को प्राथमिकता देने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये बदलाव विशेष रूप से कपल्स से जुड़े मामलों को लेकर किए गए हैं, जिनके तहत अब कुछ कपल्स को ओयो में कमरे में एंट्री नहीं दी जाएगी। नए नियम क्या हैं? क्यों किए गए ये बदलाव? ओयो रूम्स का कहना है कि ये बदलाव ग्राहकों की सुरक्षा और सामाजिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। कंपनी ने कहा है कि कुछ स्थानों पर उनके होटलों को लेकर शिकायतें मिली थीं, जिनमें नियमों का पालन नहीं हो रहा था। मेरठ से शुरुआत, जल्द ही अन्य शहरों में लागू कंपनी ने इन नियमों की शुरुआत यूपी के मेरठ से की है। मेरठ एक ऐसा क्षेत्र है जहां अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर विवाद देखने को मिलता है। माना जा रहा है कि ये नियम जल्द ही अन्य शहरों में भी लागू किए जाएंगे। नियमों पर प्रतिक्रियाएं इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। ओयो का उद्देश्य ओयो रूम्स ने कहा है कि उनका उद्देश्य अपने ग्राहकों को एक सुरक्षित और आदरपूर्ण अनुभव प्रदान करना है। इसके साथ ही, वे अपने पार्टनर होटलों से नियमों का पालन सुनिश्चित करेंगे। निष्कर्ष हालांकि यह कदम सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह पहल अन्य शहरों और ग्राहकों के अनुभव को कैसे प्रभावित करती है। इन बदलावों से ओयो को अपनी साख मजबूत करने और बेहतर ग्राहक अनुभव प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

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स्विगी डिलीवरी एजेंट अमृता का वीडियो वायरल

स्विगी डिलीवरी एजेंट अमृता का वीडियो वायरल: मॉल में ऑर्डर डिलीवर करना सबसे मुश्किल काम स्विगी डिलीवरी एजेंट अमृता ने एक वीडियो में अपनी नौकरी का सबसे मुश्किल हिस्सा साझा किया है, जिसमें उन्होंने मॉल में ऑर्डर डिलीवर करने की चुनौतियों के बारे में बात की है। अमृता ने बताया कि मॉल में फूड कोर्ट से ऑर्डर लेने में 20-25 मिनट लग जाते हैं, और इसके लिए उन्हें अतिरिक्त पैसे नहीं मिलते। अमृता के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर 43 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं, और कई लोग उनकी बात से सहमत हैं और मॉल में डिलीवरी प्रक्रिया आसान बनाने की मांग कर रहे हैं। यह वीडियो डिलीवरी एजेंट्स की चुनौतियों को उजागर करता है और मॉल में डिलीवरी प्रक्रिया को आसान बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

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यूनियन कार्बाइड कचरे के मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे हैं।

यूनियन कार्बाइड कचरे के मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे पहले, यह सवाल है कि अगर यह कचरा जहरीला नहीं था, तो इसका निस्तारीकरण भोपाल के पास ही क्यों नहीं किया जा सकता था? इसके अलावा, क्या सुप्रीम कोर्ट के पास यह तथ्य रखा गया था कि अब इस कचरे में कुछ भी जहरीला नहीं है? ¹ एक और सवाल यह है कि अगर इस कचरे को जलाना ही था, तो भोपाल के पास ही कोई नई इन्सिलरी बना लेते? इससे न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता था, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकता था। इसके अलावा, लोग यह भी सोच रहे हैं कि कहीं यह राजनीतिक कदम तो नहीं है? क्या सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इंदौर की जन भावनाओं का पहलू रखा था? और क्या पर्यावरणविदों से विचार विमर्श कर इस कचरे को जमीन के नीचे नहीं दफनाया जा सकता था? ¹ इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने की जरूरत है ताकि हम यह समझ सकें कि यूनियन कार्बाइड कचरे के मुद्दे पर सरकार और अदालतों ने क्या कदम उठाए हैं।

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साल का प्रथम दिन: पुष्पगिरि तीर्थ क्षेत्र में पार्श्वनाथ प्रभु और आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज के दर्शन का सौभाग्य

आज साल का प्रथम दिन है, और मैं इस दिन को और भी विशेष बनाने के लिए पुष्पगिरि तीर्थ क्षेत्र गया था। यहाँ पर मुझे अतिशयकारी पार्श्वनाथ प्रभु के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साथ ही, मुझे महान आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज के दर्शन करने का भी अवसर मिला। पुष्पगिरि तीर्थ क्षेत्र एक पवित्र स्थल है, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ पर पार्श्वनाथ प्रभु का एक भव्य मंदिर है, जो अपनी सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज एक महान आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके दर्शन करने से मुझे बहुत शांति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हुआ। इस साल के प्रथम दिन पर पुष्पगिरि तीर्थ क्षेत्र में पार्श्वनाथ प्रभु और आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था। मैं इस अनुभव को हमेशा याद रखूंगा और इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानूंगा। ॐ नमः पार्श्वनाथाय आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज के चरणों मे.. नमोस्तु नमोस्तु 🙏

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एक ढाबे की कहानी: पैसों के साथ पुण्य कमाने की कहानी

कुछ दिनों पहले, मैं मथुरा-कोसी से दिल्ली लौट रहा था। रास्ते में, मैंने एक छोटे से ढाबे पर रुकने का फैसला किया। वह ढाबा एक आम ढाबे से अलग था। वहाँ के मालिक ने मुझे बताया कि वे अपने ढाबे पर बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देते हैं। उनकी बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने सोचा कि यह एक बहुत ही अच्छा काम है। हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जो दिन भर में पर्याप्त भोजन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अपने बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देता है, तो यह एक बहुत ही बड़ा काम है। ढाबे के मालिक ने मुझे बताया कि वे अपने ढाबे पर बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देने के लिए एक विशेष प्रणाली बनाई है। वे अपने ढाबे पर एक बड़ा डिब्बा रखते हैं, जिसमें वे बचे हुए खाने को रखते हैं। फिर वे उस खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देते हैं। उनकी इस पहल ने मुझे बहुत प्रेरित किया। मैंने सोचा कि अगर हम सभी अपने बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देने के लिए एक विशेष प्रणाली बनाएं, तो हम अपने देश में भुखमरी को कम कर सकते हैं। इस ढाबे की कहानी ने मुझे यह भी सिखाया कि पैसों के साथ पुण्य भी कमाया जा सकता है। हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जो सिर्फ पैसा कमाते हैं, लेकिन वे पुण्य नहीं कमाते हैं। लेकिन इस ढाबे के मालिक ने मुझे दिखाया कि पैसों के साथ पुण्य भी कमाया जा सकता है। इसलिए, मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप भी अपने बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों को देने के लिए एक विशेष प्रणाली बनाएं। इससे हम अपने देश में भुखमरी को कम कर सकते हैं और पुण्य भी कमा सकते हैं।

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साल 2024: एक साल जो हमेशा याद रहेगा

आज 31 दिसंबर 2024 है, और यह साल 2024 का अंतिम दिन है। यह साल हमारे लिए कई यादगार पल, उपलब्धियां, और चुनौतियां लेकर आया है। आइए इस साल की मुख्य घटनाओं पर एक नज़र डालते हैं: राजनीति में नए दौर की शुरुआत साल 2024 में दुनिया भर में कई देशों में चुनाव हुए। इन चुनावों में नए नेताओं का उदय हुआ और कई देशों में सरकारें बदलीं। भारत में भी लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें कई नए चेहरे सामने आए। आर्थिक मोर्चे पर उतार-चढ़ाव साल 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव देखा गया। कई देशों में आर्थिक विकास दर में गिरावट आई, जबकि कुछ देशों में आर्थिक विकास दर में वृद्धि हुई। भारतीय अर्थव्यवस्था ने भी इस साल कई चुनौतियों का सामना किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए आविष्कार साल 2024 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई नए आविष्कार हुए। इनमें से कुछ प्रमुख आविष्कार हैं: एआई और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में नए विकासइलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता5जी नेटवर्क का व्यापक प्रसार खेलों में नए रिकॉर्ड साल 2024 में खेलों के क्षेत्र में कई नए रिकॉर्ड बनाए गए। इनमें से कुछ प्रमुख रिकॉर्ड हैं: ओलंपिक खेलों में नए रिकॉर्डक्रिकेट विश्व कप में नए रिकॉर्डफुटबॉल विश्व कप में नए रिकॉर्ड सामाजिक मुद्दों पर बढ़ती जागरूकता साल 2024 में सामाजिक मुद्दों पर बढ़ती जागरूकता देखी गई। इनमें से कुछ प्रमुख मुद्दे हैं: महिला अधिकारों की बढ़ती मांगपर्यावरण संरक्षण की बढ़ती जागरूकताशिक्षा के क्षेत्र में सुधार की बढ़ती मांग निष्कर्ष साल 2024 एक ऐसा साल था जो हमेशा याद रहेगा। इस साल में हमने कई नए आविष्कार, नए रिकॉर्ड, और नए मुद्दों को देखा। हमने यह भी देखा कि दुनिया भर में लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। आइए हम साल 2024 को अलविदा कहें और साल 2025 की ओर बढ़ें। हमें उम्मीद है कि साल 2025 हमारे लिए नए अवसर, नई चुनौतियां, और नई उपलब्धियां लेकर आएगा।

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