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The biggest event of 2024: the beginning of a new era

2024 was a year that will always be remembered. In this year we saw many new inventions, new records, and new issues. But this year’s biggest event was the start of the widespread spread of Artificial Intelligence (AI) around the world. AI revolution: the beginning of a new era In 2024, AI technology began a new era. The widespread spread of AI this year revolutionized many areas across the world. The use of AI increased speed and accuracy in many works, increasing productivity. Along with the spread of AI, many new opportunities were also created. The use of AI led to the development of many new industries, such as AI-related services, AI-related products, and AI-related education. The effects of the AI revolution The effects of the AI revolution were seen around the world. The use of AI improved in many areas, such as: Improvement of health servicesImprovement in educationImprovement in businessImprovement in transportation Along with the AI revolution, there were many challenges. The use of AI posed a threat to many jobs, and many had to lose their jobs. Conclusion The biggest event of 2024 was the beginning of the widespread spread of Artificial Intelligence (AI) across the world. The AI revolution improved in many areas around the world, but at the same time many challenges came. We hope that along with the AI revolution we will face our challenges and move towards a better future.

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Struggling Barragi: An untold story

Struggling Barragi is a man who faces many challenges in his life, but does not give up. He constantly struggles to achieve his goals and remains determined to fulfill his dreams . The features of a struggling barrage are: Resolve: He remains determined to achieve his goals. Struggle: He faces the challenges he faces in his life and does not give up. Confidence: He believes in his abilities and remains full of confidence to fulfill his dreams. There are many ups and downs in the life of a struggling baragi, but he always struggles and remains determined to achieve his goals. He is a source of inspiration and also inspires others to fulfill their dreams.

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कछुओं की तस्करी: एक दुखद और चिंताजनक घटना

त्रिची एयरपोर्ट पर हुई एक घटना ने हमारे देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर कई सवाल उठाए हैं। खुफिया जानकारी के आधार पर, त्रिची एयरपोर्ट के AIU के अधिकारियों ने एक यात्री द्वारा चेक-इन बैगेज में लाए गए 2447 जीवित कछुए जब्त किए। यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि यह हमारे देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर भी चिंताजनक है। यह सवाल उठता है कि कैसे एक यात्री इतनी बड़ी संख्या में जीवित कछुओं को अपने साथ ले जाने में सफल हो गया। इस घटना के पीछे के कारणों की जांच करना और उन्हें रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना आवश्यक है। हमें अपने देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर अधिक जागरूक और सक्रिय होने की आवश्यकता है। हमें यह भी सोचना चाहिए कि क्या हम अपने देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर पर्याप्त कदम उठा रहे हैं। हमें अपने देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर अधिक जागरूक और सक्रिय होने की आवश्यकता है। इस घटना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमें अपने देश की सुरक्षा और जीव-जन्तुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को लेकर अधिक जागरूक और सक्रिय होने की आवश्यकता है।

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अब ये नहीं देखा तो क्या देखा…

कई लोग कट्ठीवाड़ा को उसकी मशहूर आम की किस्मों के लिए ही पहचानते हैं… और इसी का फल है कि यहां रहने वालों के रिश्तेदार, परिचित, दोस्त सालभर याद करें न करें… आम की सीजन में कट्ठीवाड़ा वालों को जरूर याद कर लेते हैं… खैर, ये तो थी मजाक की बात… पर सच तो यही है… यहां के आम कम से कम लोगों को एक-दूसरे से जोड़े तो रखते हैं… लेकिन यहां मिलने वाली 2 दर्जन से ज्यादा आम की किस्मों के अलावा भी यहां बहुत कुछ है, जो देखा जा सकता है… या याद के तौर पर यहां से ले जाया जा सकता है… तो सिर्फ आम के लिए रिश्ते क्यों जोड़े रखना… कट्ठीवाड़ा आज भी कई लोगों के लिए पहुंच के लिए आसान नहीं है… इंदौर वाले कई लोगों के मुंह से मैंने ये सुना है कि बहुत दूर है यार… फिर चाहे वही लोग अपनी स्वयं की गाड़ियों से हजारों-सैकड़ों किलोमीटर दूर घूमने निकल जाते हैं… तो भाई अब नासेरा के पास आप सभी के लिए वहां तक कट्ठीवाड़ा से कुछ भी लाने की हिम्मत नहीं है… माफ करो… तो खैर, आम के अलावा यहां क्या-क्या है… घूमने के लिए झरना है… डूंगरीमाता मंदिर है… रतनमाल पहाड़ (ट्रेकिंग के लिए) है… पर हां, इन तीनों जगह आने वालों के लिए चेतावनी ये है कि पहाड़ चढ़ सको तो आना… वरना, फिर शिकायत मत करना कि मैंने पहले ये क्यों नहीं बताया… झरना में सीधी चढ़ाई… मंदिर के लिए सीढ़ियां और रतनमाल के लिए 3 घंटे की चढ़ाई… तो कमर कसकर अपने नए स्पोर्ट्स शूज पहनकर आना… पानी और नाश्ता कट्ठीवाड़ा में भरपूर मिलता है… खाने के लिए शाकाहारी और मांसाहारी (अलग-अलग) ढाबे भी है, तो यहां मनपसंद खाना भी ऑर्डर के बाद तैयार मिलेगा, बिलकुल देसी और पारंपरिक अंदाज में परोसकर… कड़कनाथ नहीं मिलेगी, ये भी मैं पहले ही बता दूं… इसके अलावा क्या देखने को मिलेगा… तो दो राजमहल है (इंट्री नहीं है देखने के लिए)… आम के बगीचे… प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बहती नदी के किनारे चाटलियापानी, एक अद्भुत और पारंपरिक मान्यताएं लिए पहाड़ ‘आधा सीसी’… बांस से बना खूबसूरत सामान, मिट्टी की बनी सजावटी वस्तुएं… जिसमें घोड़े (आदिवासी परंपरा में पूजनीय) प्रमुखता से पसंद किए जाते है… और कई प्राकृतिक संपदाएं… जिन्हें जानने का यहां मौका मिलेगा… कट्ठीवाड़ा घूमकर यहां से कहीं जाना हो, तो यहां से सबसे नजदीक है केवड़िया (स्टेच्यू ऑफ यूनिटी)… … और हां, अब यहां होम स्टे की सुविधा है कट्ठीवाड़ा : वडोदरा से 90 किलोमीटरइंदौर से 285 किलोमीटरबाकी जगहों से आने के लिए गूगल की मदद ले लेना…

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डॉ मनमोहन साहब की एक ही कार थी – मारुति 800।

: एसपीजी में पीएम की सुरक्षा में मौजूद रहे असीम अरुण जी के ट्विटर हैंडल से लिया गया लेख… मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडीगार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरूनी घेरा होता है – क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम, जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वह व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडीगार्ड रह सकता है, तो वह साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी। डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी – मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गाड़ी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर, यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सुरक्षा फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकाफिला मारुति के सामने से निकलता, तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हों कि मैं मध्यमवर्गीय व्यक्ति हूँ और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गा…पीएम की गाड़ी है, मेरी तो यह मारुति है। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा में मौजूद रहे असीम अरुण जी के ट्विटर हैंडल से लिया गया लेख।

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महत्वपूर्ण राजनीतिक युग का अंत

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहान सिंह का 26 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। उनका निधन नई दिलाप में स्थित एम्स में हुआ। डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजिश प्रांत के गाह नामक गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से हुई, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक किया।डॉ. सिंह ने भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए। उनके पहले कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया। उनके दूसरे कार्यकाल में उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।डॉ. सिंह को उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें पद्म विभूषण और कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट शामिल हैं। उनका निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनकी विरासत हमेशा याद रखी जाएगी। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के साथ ही एक महत्वपूर्ण राजनीतिक युग का अंत हो गया है। उनकी सादगी, विद्वत्ता और नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा। वंदन नमन 🙏

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महबूबा बनाम मार्केटिंग: क्या आप शिखर पर पहुंचना चाहते हैं?

महबूबा एक ऐसा शब्द है जो अक्सर प्यार और आकर्षण के साथ जुड़ा होता है। लेकिन जब बात आती है करियर और पैसे की, तो महबूबा के पीछे भागने से कुछ नहीं होता है। मार्केटिंग ही वह है जो आपको शिखर पर ले जा सकती है। महबूबा के पीछे भागने से क्या होता है? महबूबा के पीछे भागने से आप अपने लक्ष्यों से दूर हो जाते हैं। आप अपने समय और ऊर्जा को महबूबा के पीछे लगाते हैं, लेकिन इससे आपको कुछ नहीं मिलता है। महबूबा आपको आकर्षित कर सकती है, लेकिन वह आपको शिखर पर नहीं ले जा सकती है। मार्केटिंग के पीछे भागने से क्या होता है? मार्केटिंग के पीछे भागने से आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। मार्केटिंग आपको अपने उत्पाद या सेवा को बाजार में प्रमोट करने में मदद करती है। इससे आप अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। महबूबा और मार्केटिंग में क्या अंतर है? महबूबा और मार्केटिंग में कई अंतर हैं: निष्कर्ष महबूबा आपको आकर्षित कर सकती है, लेकिन मार्केटिंग आपको शिखर पर ले जा सकती है। अगर आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको मार्केटिंग के पीछे भागना चाहिए। मार्केटिंग आपको अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद कर सकती है और आपको शिखर पर ले जा सकती है।

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